नमस्कार दोस्तों, हम हमारे दैनिक जीवन में कई ऐसे वाक्य और शब्दों का इस्तेमाल बोलने में करते है जो कही न कही, किसी न किसी प्रकार से Hindi Varnamala और व्याकरण से जुड़े होते हैं।
हिंदी व्याकरण में ऐसे कई प्रकार के शब्द और वाक्य है जो हिंदी की वर्णमाला के नियमों के अनुसार जुड़े हुए होते है। हम रोजाना ऐसे कई शब्दों और वाक्यों को बोलते है और लिखते है जो हिंदी व्याकरण के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए होते हैं।
हमारे इस लेख में आपको आसान भाषा में हिंदी व्याकरण के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी साथ ही यह भी बताया जाएगा की आप किस प्रकार से हिंदी व्याकरण सीख सकते है और यह आपके लिए कितनी फायदेमंद है, खासकर प्रतियोगी परीक्षा के परिपेक्ष में।
हिंदी वर्णमाला क्या हैं
सामान्य भाषा में समझा जाए तो वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते है। यह केवल कुछ शब्दों तक ही सीमित नही है बल्कि इसमें और भी कई फेक्ट है जो हिंदी वर्णमाला को प्रभावित करते है जैसे स्वर, व्यंजन इतियादी।

हिंदी का आधार हिंदी व्याकरण है और हिंदी व्याकरण का आधार हिंदी वर्णमाला है। हिंदी वर्णमाला का हमारे लिए समझना इसलिए जरुरी हो जाता है क्योंकि इसके आधार पर ही हम हिंदी व्याकरण की समझ पाते है और हिंदी को भी समझ और लिख पाते हैं।
वर्णमाला की परिभाषा
अगर हम हिंदी की वर्णमाला की परिभाषा को समझे तो इसकी सामान्य परिभाषा इस प्रकार निकल कर आती है “किसी भाषा अथवा अनेक भाषा को लिखने और बोलने के लिए प्रयोग किए गए मानक प्रतीकों को ही वर्णमाला कहते हैं”
वर्णमाला का अर्थ है:- वर्ण से बने हुए शब्द माला को बनाने के लिए अलग अलग मोतियों की जरूरत होती है और उन्हीं मोतियों से मिलकर एक पूरी माला बन पाती है। इसी प्रकार वर्णों से मिलकर एक पूरी माला बन जाती है। इन सभी वर्णों से मिल कर वर्णमाला बनाती हैं।
हिंदी व्याकरण में वर्णमाला को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है। इन दो भागों के भी कई अलग अलग नियम है जिनके आधार पर इन वर्णों और वर्णमालाओं को परिभाषित किया जाता हैं।
हिंदी वर्णमाला के भाग
हिंदी वर्णमाला को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है। इन दोनों भागो को स्वर और व्यंजन के नाम से जानते है। चलिए समझते है एक – एक करके इन दोनों भागों को और यह भी देखते है की इनमे हिंदी के कौनसे – कौनसे वर्ण आते हैं।
स्वर – Vowels
हिंदी वर्णमाला में सबसे ज्यादा जरुरी है जो भाग है वो है स्वर। हिंदी भाषा और व्याकरण के अनुसार देखे तो स्वर होते है जो बिना किसी रुकावट के या समयसा के उच्चारित होते है। स्वर स्वतंत्र होते हैं।
ऐसे वर्ण जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के बिना बोला जाता है। यह सभी वर्ण स्वर की श्रेणी में आते है। सामान्य तौर पर यह स्वर होते है। हिंदी में कुल 11 स्वर होते है जो अपने स्तर पर स्वतंत्र रूप में इस्तेमाल होते है। यह स्वर निम्न हैं।
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, ऋ
यह सभी हिंदी के स्वर होते है। इन सब के अलावा स्वर को भी कई अलग अलग भागों में बांटा गया है। इनमे यह निम्न है। बोलचाल और उपयोग के आधार पर भी स्वरों का विभाजन किया जाता है। मुख्य रूप से स्वर को तीन भागों में बांटा गया है। इसमें यह स्वरों को भी अलग विभाजित किया जाता है। यह तीन प्रकार के स्वर इस प्रकार हैं।
- हस्व स्वर: वे स्वर जो तेजी से बोले जाते हो ऐसे स्वर हास्व स्वर कहलाते है। इन स्वरों में यह कुछ स्वर निम्न आते है जैसे अ, इ, उ इतियादी इसमें शामिल हैं।
- दीर्घ स्वर: इस श्रेणी में वे स्वर आते है जो उच्चारण के समय अधिक समय लेते है जैसे – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ इतियादी।
- प्लुत स्वर: इसमें वे स्वर आते है जो उच्चारण के समय दीर्घ स्वर से भी ज्यादा समय लेते है जैसे रा, ओउम, ऋ इतियादी।
इन सब के अलावा इस श्रेणी में 10 स्वर, 1 अर्ध स्वर, और 2 अनुस्वार होते है। इन सब के उदाहरण इस प्रकार हैं।
स्वर: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, यह वो 10 स्वर हैं।
अर्ध स्वर: ऋ , यह केवल एक ही स्वर हैं।
अनुस्वर: अं, अः, इसमें 2 अनुस्वर हैं।
स्वर में अनुस्वर को एक साथ नही जोड़ा जाता हैं।
व्यंजन – Consonants
वर्ण में स्वर के अलावा व्यंजन भी होते है। यह व्यंजन हिंदी में इ होते है जो स्वर के अलावा होते हैं।
व्यंजन किसे कहते हैं: साधारण भाषा में क से शुरू होकर ज्ञ तक आने वाले शब्द होते है उन्हें ही व्यंजन कहा जाता है। इसके अलावा एक और परिभाषा है जैसे एक और एक से अधिक स्वर से बने शब्दों को व्यंजन कहते है। सामान्य भाषा में व्यंजन 33 माने गये है हिंदी व्याकरण में परन्तु इन सब के अलावा इसमें 6 व्यंजन और जोड़े गये है इस हिसाब से हिंदी व्याकरण में 39 व्यंजन माने गये हैं।
दुसरे शब्दों में कह सकते है की यह वह व्यंजन होते है जो दुसरे वर्णों से मिल कर बनते है। जैसे क, च, ख इतियादी व्यंजन की श्रेणी में आते हैं।
व्यंजन के प्रकार
सामान्य तौर पर देखा जाए तो व्यंजन को मुख्य रूप से 4 भागों में बांटा जाता है। इन तीन प्रकारों के बारे में आपको आगे बताया जा रहा है जो इस प्रकार हैं।
चार भागों में बांटे गये इन व्यंजनों को हम इस प्रकार से समझ सकते है। यह सभी चार प्रकार इस प्रकार हैं।
स्पर्श व्यंजन
इस श्रेणी में उस प्रकार के व्यंजन आते है जिसमे उच्चारण में जीभ का साथ मूल रूप में होता है। ऐसी स्तिथि में इस व्यंजनों को इस श्रेणी में रखा जाता है। क्योंकि यह व्यंजन जीभ के कुछ मूल उच्चारण स्थानों को स्पर्श करने से उत्पन्न हुआ है, इसी कारण इसे उदित व्यंजन भी कहा जाता हैं।
इस श्रेणी में 5 व्यंजन और उनके समूहों को सम्मिलित किया जाता है। यह वर्ग और उनके वर्ग में आने वाले शब्दों को इस रूप में जोड़ा जा सकता हैं।
वर्ग क – क, ख, ग, घ, ङ
वर्ग च – च, छ, ज, झ, ण
वर्ग ट – ट, ठ, ड, ढ, ण
वर्ग त – त, थ, द, ध, न
वर्ग प – प, फ, ब, भ, म
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संयुक्त व्यंजन
व्यंजन की श्रेणी में उन व्यंजन और उनके समूहों को रखा जाता है जो एक या एक से अधिक व्यंजनों से बने होते है। व्यंजनों की इस श्रेणी में इन सभी वर्ग और उनसे जुड़े व्यंजनों को रखा जाता है जो इस प्रकार हैं।
क्ष = क + ष ( इसमें क आधा शब्द हैं)
न्न = त + र (इसमें त आधा शब्द हैं)
ज्ञ = ज + ण (इसमें ज आधा शब्द हैं)
श्र = श + र (इसमें श आधा शब्द हैं)
यह सभी वे शब्द और व्यंजन होते है जो एक और उससे अधिक व्यंजनों से मिल कर बने होते हैं।
अंतः स्थ व्यंजन
व्यंजन की श्रेणी में वे व्यंजन आते है जिनके अंत में अंतः या स्थ आते है। व्यंजन की इस सूची में के बीच में वे शब्द आते है जो एक दुसरे को पूर्ण रूप से स्पर्श करते हो। अंतः की श्रेणी में वे कुछ व्यंजन आते है जो इस प्रकार है य, र, ल, और व इतियादी।
उष्म व्यंजन
इस श्रेणी में उन सभी व्यंजनों को रखा जाता है। ऐसे व्यंजन जिसको उच्चारण करते समय अधिक उर्जा और ऊष्मा लगती है। इंसे बोलते समय हमारे मुह से शब्द के साथ हवा भी निकलने लगती है जैसे श, ष, स, ह इतियादी।
स्वर तंत्रियों के आधार पर व्यंजन का विभाजन
स्वर तंत्र के आधार पर व्यजनों को 2 भागों में बांटा जाता है। इन दोनों में जो सबसे मुख्य है वो यह है जिसमे सघोष व्यंजन और अघोष व्यंजन। इन दोनों के बारे में भी समझते हैं।
सघोष व्यंजन
ऐसे व्यंजन जिसके उच्चारण में तंत्र ज्यादा कंपन करती है, यह सभी सघोष व्यंजन कहलाते है। इस प्रकार के व्यंजन में 20 व्यंजन आते है। ऐसे शब्द और व्यंजन जिसके अंत में अंतः और स्थ आते है जैसे इतियादी।
अघोष व्यंजन
ऐसे व्यंजन जिनके उच्चारण में तंत्रियों का उत्त्पन कम होता है, इन सभी व्यंजन को अघोष व्यंजन कहा जाता है। इसमें कुल 14 व्यंजन आते है। श, ष और स इतियादी आते हैं।
स्वर तंत्र के आधार पर इन दोनों को दो भागों में बांटा गया है। यह दोनों वर्ण के मुख्य अंग है और मुख्य रूप से व्यंजन में मुख्य हैं।
निष्कर्ष
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