आप में से कितने ऐसे लोग होंगे जो ट्रेन का सफर नहीं किए होंगे लगभग ऐसे बहुत कम लोग ही होंगे जिन्होंने अब तक ट्रेन का सफर नहीं किया होगा ट्रेन का सफर लगभग सारे लोग अपने जीवन काल में कभी न कभी करता ही है। कभी आपने सोचा है कि आखिर Train Ka Avishkar Kisne Kiya आज हम अपने इस महत्वपूर्ण लेख में इसी विषय पर विस्तार पूर्वक जानकारी जानने वाले हैं।
रेल साधन दुनिया का ऐसा दूसरे नंबर का यातायात का साधन है जो लंबी यात्राओं को आसान और सुगम बनाता है। हमने अपने पिछले लेख में मोटरसाइकिल का आविष्कार किसने किया? एवं कार का आविष्कार किसने किया? के बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की और हमें उम्मीद है कि आज आप रेल के अविष्कार के बारे में इस लेख में जानकारी आप को यातायात के सभी महत्वपूर्ण आविष्कार के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी। अगर आपको ट्रेन का आविष्कार किसने किया? के बारे में जानना है तो ऐसे में आपको हमारा यह लेख शुरू से अंतिम तक पढ़ना चाहिए ताकि आप से कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी मिस न होने पाए।
Train क्या है
ट्रेन यातायात का एक ऐसा साधन है जो 120 किलोमीटर प्रति घंटे के हिसाब से यात्रा करती है और अब तो आधुनिक जमाने में 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से लेना अपनी दूरी तय करती है। रेल में इंजन को छोड़कर 8 से 10 रेल बोगी भी लगी होती है। ट्रेन लोहे के दो पटरी पर चलती है और इसके चक्के भी लोहे के बने होते हैं।
यही कारण है कि रेल को हिंदी में ‘लोह पथ गामिनी’ के नाम से भी जाना जाता है यानी कि लोहे की पटरी पर चलने वाला साधन। हमारे भारत में प्रतिदिन एक करोड़ से भी अधिक लोग रेल में यात्रा करते है। हमारा भारत देश दुनिया का जाना माना सबसे बड़ा रेल नेटवर्क के रूप में जाना जाता है। हवाई जहाज के मुकाबले रेल यात्रा काफी किफायती होती है और सुरक्षित भी।
Train कैसे काम करता है
दोस्तों कई सारे लोग ट्रेन के इंजन के पावर को सीसी में व्यक्त करते परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है ट्रेन के इंजन के पावर को सीसी में नहीं बल्कि लीटर में व्यक्त करना पड़ता है। ट्रेन का मार्ग लोहे की दो पटरियों पर चलता हैं।
ट्रेन का मुख्य इंजन ही अपने आप को और रेल की बोगियों को खींचने का काम करता है। आजकल डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक इंजन दोनों ही अवेलेबल है परंतु अब इलेक्ट्रिक इंजन को ज्यादा प्राइमरी मान्यता दी जा रही है क्योंकि डीजल इंजन के मुकाबले इलेक्ट्रॉनिक इंजन में काफी बड़ा अंतर है और इलेक्ट्रॉनिक इंजन डीजल के मुकाबले काफी ज्यादा बेहतर हैं।
जब ट्रेन अपनी पटरी से दूसरे पटरी पर जाती है तब पटरी को मैनुअली या फिर ऑटोमेटिक तरीके से बदला जाता है ताकि ट्रेन अपना मार्ग बदल सके। ट्रेन के इंजन के अलावा ट्रेन को चलाने के लिए एक लोकोमोटिव पायलट होता है जिससे ट्रेन को पूरी तरीके से नियंत्रण में रखा जाता है। पूरी ट्रेन में ट्रेन का इंजन और लोकोमोटिव पायलट की मुख्य भूमिका निभाते हैं।
Train का आविष्कार किसने किया
यूनाइटेड किंगडम के रहने वाले एक पेशेवर इंजीनियर जिनका नाम ‘रिचर्ड ट्रवेथिक’ था और इन्होंने 21 फरवरी 1804 को सबसे पहली बार भाप के इंजन का आविष्कार किया। मगर कुछ खामियों की वजह से इनका उस समय का अविष्कार पूरे तरीके से सफल नहीं हो पाया। रिचर्ड के द्वारा किए गए इस बहुमूल्य आविष्कारक के वजह से अन्य वैज्ञानिकों ने रेल के इंजन के आविष्कार करने की प्रेरणा प्राप्त की।
सबसे पहले ट्रेन को बनाने का आईडिया इंग्लैंड में ही जागा था। रेल को बनाने के लिए कई सारे इंजीनियर ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया और उस पर निरंतर रूप से काम करते रहे परिणाम 27 सितंबर, 1825 को ‘जार्ज स्टीफेन्सन’ द्वारा भाप से चलने वाली ट्रेन का आविष्कार पूरा हो सका और उस ट्रेन का नाम ‘लोकोमोशन’ रखा गया था।
Train का इतिहास
जैसा कि हमने अब तक अपने इस महत्वपूर्ण लेख में जाना कि पहले के समय में रेल को चलने के लिए भाप के इंजन का निर्माण किया गया था परंतु अब डीजल और इलेक्ट्रॉनिक इंजन के जरिए रेल का इंजन आसानी से चल रहा है और पहले से ज्यादा बेहतर तरीके से काम कर रहा है। तो चलिए हम रेल के इतिहास के बारे में भी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों को जान लेते हैं।
दुनिया की सबसे पहली डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेन का निर्माण 1912 में हुआ था। डीजल से चलने वाली इस ट्रेन का आविष्कार स्विजरलैंड में हुआ था परंतु डीजल इंजन से पहले बिजली के पावर से चलने वाली ट्रेन का भी निर्माण पूरा हो गया था। बिजली से चलने वाले उस समय के सबसे पहले रेल इंजन को बनाने का पूरा श्रेय स्कॉटलैंड के ‘रॉबर्ट डेविडसन’ को दिया जाता है। डेविडसन ने 1837 में ही बैटरी से चलने वाले रेल इंजन का निर्माण किया था।
हमारे देश में पहली बार 16 अप्रैल1853 को मुंबई से थाने के बीच रेल यात्रा प्रारंभ की गई थी। मतलब कि हमारे देश में सबसे पहली बार अगर रेल कहीं पर चली तो वह मुंबई जैसे महानगर में ही चली थी। हमारे देश में अंग्रेजों ने ही रेल यात्रा को प्रारंभ किया था परंतु हमारे देश में रेल का राष्ट्रीयकरण 1951 में पूरा हुआ। अब हमारे देश का रेल नेटवर्क इतना बड़ा हो चुका है कि सभी बड़े देशों के लिए नेटवर्क में हमारी देश की भी गिनती की जाती हैं।
तब के जमाने में और अबकी जमाने के लिए अविष्कार की तुलना की जाए तो पहले के समय में रेल इंजन मात्र 10 से 12 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से ही गति से चलता था परंतु आप के जमाने में ट्रेन में इतने ज्यादा बेहतरीन फीचर का इस्तेमाल किया गया है कि इसकी गति अब 500 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से हो चुकी है जो कि पहले के मुकाबले कई गुना ज्यादा बढ़ चुकी है। आज भी दिन प्रतिदिन ट्रेन के इंजन में और ट्रेन के अन्य आवश्यक कार्य प्रणाली में सुधार होता जा रहा है ताकि इसे और भी कल के मुकाबले बेहतर बनाया जा सके।
निष्कर्ष
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