आज के समय में यातायात के लिए पेट्रोल बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। आज पेट्रोल के बिना हम प्रगति की कल्पना नहीं कर सकते। मगर क्या आपको पता है Petrol Ko Hindi Me Kya Kehte Hain पेट्रोल एक ऐसा अंग्रेजी शब्द है जिसका इस्तेमाल हिंदी भाषा में भी काफी सुचारु रुप से किया जाता है। मगर हम आपको बता दें कि यह एक अंग्रेजी शब्द है इसका हिंदी मतलब आज के लेख में सरल शब्दों में बताने का प्रयास किया गया है।
सबसे पहले हम आपको बताना चाहेंगे कि पेट्रोल एक खनिज पदार्थ है जिसे पृथ्वी की सतह के नीचे से प्राप्त किया जाता है। किसी भी वस्तु का नाम उसके रंग, रूप, प्रवृत्ति, या मिलने के स्थान पर निर्भर करता है। इस वजह से पेट्रोल को हिंदी में क्या कहते है? एक अजीब सा सवाल है जो लोगों को काफी परेशान करता है। इसके बारे में बताते हुए हम आपको पेट्रोल के इतिहास और इसकी कीमत में आए उतार-चढ़ाव के बारे में भी बताएंगे।
पेट्रोल को हिंदी में क्या कहते हैं
पेट्रोल को हिंदी में “शिलातेल” या “ध्रुव स्वर्ण” कहते है। वर्तमान समय में यातायात की उपयोगिता को देखते हुए पेट्रोल एक बहुत ही कीमती वस्तु बन चुकी है। इसी वजह से इसे काला सोना या ध्रुव स्वर्ण कहा जाता है।
वैसे तो पेट्रोल शब्द का इस्तेमाल मिट्टी तेल, साफ किया हुआ पेट्रोलियम, और इंधन जैसे शब्दों के लिए भी किया जाता है। मगर साधारण बोलचाल की भाषा में हम इस तरह के शब्दों का अधिक इस्तेमाल नहीं करते और आसानी से चीजों को समझने के लिए जमीन के नीचे से मिलने वाले पेट्रोलियम ईंधन या शिलातेल को पेट्रोल शब्द से ही जाना जाता है और इसी का इस्तेमाल रोजमर्रा के जीवन में किया जाता है।
पेट्रोल का इतिहास
पेट्रोल के इतिहास के रूप में हम इतने ही जानते है, कि पेट्रोल का खोज काॅलोनेल एडविन ड्रेक ने 1859 में पेनिसवेला में किया था। पहली बार उन्होंने जमीन के नीचे से तेल निकलते हुए देखा और अधिक खुदाई करने के बाद वहां पर एक तेल का कुआं खोदा। वह एक भूगोल वैज्ञानिक थे कुछ प्रयोग के दौरान उन्होंने पाया कि यह जमीन से निकालने वाला खनिज पदार्थ बहुत ही ज्वलनशील है जो ऊर्जा देने में काम आ सकता है।
कई सालों तक लोग इस तेल के कुए को अजूबे की तरह देखते थे और पेट्रोल से काफी डरते थे क्योंकि इसमें काफी जल्दी आग लग जाती थी। 1885 में किसी ने पेट्रोल से चलने वाली गाड़ी सबके समक्ष प्रस्तुत की और बताया कि पेट्रोल के इस्तेमाल एक इंधन की तरह किया जा सकता है।
वैसे पेट्रोल की बनने की प्रक्रिया के बारे में अगर बात करें तो हजारों साल पहले पेड़ पौधे और डायनासोर के अवशेष जो जमीन के नीचे दब गए थे उन्हीं के अवशेष से गल कर पेट्रोल के रूप में आज जमीन के नीचे से निकलते है। अवशेषों का गलकर पेट्रोल बनना एक बहुत लंबी प्रक्रिया है जिसमें लाखों साल लगते है यही कारण है कि एक बार अगर पेट्रोल धरती की सतह से बहुत नीचे चला गया या खत्म हो गया तो दोबारा बनाया नहीं जा सकता, और यह इसकी कीमत को और बढ़ा देता है।
भारत में पेट्रोल कब आया था
भारत में पेट्रोल 1886 में आया था जब मैककिलोप स्टीवर्ट कंपनी ने ऊपरी असम के निकट सफलतापूर्वक कुआ खुदा जहां उन्हें तेल मिला और उसके बाद भारत में पेट्रोल बेचने की प्रक्रिया शुरू हुई।
1886 से पहले भारत में किसी भी तरह से पेट्रोल या गैस का इस्तेमाल इंधन के रूप में नहीं किया जाता था मगर 1886 में तेल का कुआं खोदने के बाद वहां लोगों को पेट्रोल और गैस इंधन के रूप में मिलना शुरू हुआ उसके बाद भारत में अलग-अलग जगहों पर पेट्रोल पंप आया और वहां से पेट्रोल को एक इंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।
पेट्रोल की रेट ज्यादा या कम कैसे होती है
हमारे देश में जरूरत के हिसाब से पेट्रोल नहीं निकलता है इस वजह से भारत सरकार को विदेश से पेट्रोल मंगाना पड़ता है इस वजह से पेट्रोल के ऊपर टैक्स लगता है। जितना पेट्रोल पर टैक्स लगता है उस हिसाब से पेट्रोल का रेट कम या ज्यादा होता है।
कभी पेट्रोल विदेश से सस्ते दामों पर मिल जाता है कभी महंगे दामों पर मिलता है मगर जब तलक कम दामों पर मिलता है तो सरकार उस पर ज्यादा टैक्स लगाती है ताकि सरकार का कमाई हो सके और अगर तेल ज्यादा दाम में मिलता है तो भी सरकार उतने ही टैक्स लगाती है ताकि सरकार की कमाई बनी रहे। हमारे देश में जनसंख्या बहुत अधिक है मगर टैक्स देने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। यही कारण है कि पेट्रोल जैसी जरूरी चीज से टैक्स लेकर सरकार अपनी कमाई पूरी करती है।
दोनों ही परिस्थिति में टेक्स्ट सरकार एक जैसा लगाती है जिस वजह से पेट्रोल की कीमत बढ़ती है। यही कारण है कि भारत में आपको पेट्रोल की कीमत इतनी अधिक तेजी से बढ़ती हुई नजर आती है।
निष्कर्ष
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