भारत में न्यायाधीश जिसे जज भी कहते है उसे एक बड़ी उपलब्धि वाला ओहदा माना जाता है। अगर आपके मन में भी कभी यह विचार आया है कि Judge Kaise Bane तो आज आप बिल्कुल सही जगह पर है इस लेख में हम आपको विस्तार पूर्वक जज बनने की सभी प्रक्रिया और अन्य जानकारी देने जा रहे हैं।
जज या न्यायाधीश बनने के लिए आपको खास प्रकार के पढ़ाई करनी पड़ती है जिसे वकालत कहते है। और उसके बाद आपको जज की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है उसके बाद आप न्यायालय में इस ओहदे पर पहुंच जाएंगे जहां आप सही और गलत का फैसला करके मुजरिम को सजा सुना सकते हैं।
Judge कौन होता हैं
सरकार के द्वारा लिया गया निर्णय हो या किसी व्यक्ति के द्वारा किया गया काम वह सही है या गलत यह न्यायालय में तय होता है भारत में न्यायपालिका को पूरी तरह से स्वतंत्र रखा गया है उसका मुख्य काम संविधान अनुसार देश में हुए कार्य को सही और गलत के आधार पर सजा सुनाना और किसी सरकारी नियम या निर्णय को निरस्त करना हैं।
भारत की न्याय व्यवस्था का वह व्यक्ति जो किसी न्यायालय का मुख्य अध्यक्ष होता है और फैसला सुनाने का कार्य करता है उसे हम सच कहते है। जज का मुख्य काम किसी नियम या फैसले को निरस्त करना अथवा मुजरिम को सजा सुनाना होता हैं।
भारत में न्यायपालिका को विभिन्न स्तरों पर बांटा गया है जिसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को अहम न्यायालय माना जाता है जज वह ओहदा होता है जिससे फैसला लेने में जरा सी चूक हो जाए तो एक निर्दोष व्यक्ति को सजा मिल सकता है जिससे आप यह समझ सकते हैं।
कि जज कितना गरिमावान और मुख्य पद होता है। भारत में सुप्रीम कोर्ट को सर्वप्रिय माना गया है वह भारत का उच्च न्यायालय है वहां जज बनना सरल नहीं है सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट का जज नहीं बना जा सकता है। किसी भी न्यायालय में जज बनने की पूर्ण प्रक्रिया आपको इस लेख में नीचे बताई गई हैं।
Judge क्या कार्य करता हैं
जैसा कि हमने बताया जाए या न्यायधीश न्यायालय का मुख्य पद होता है जिस पर बैठा व्यक्ति सबूतों और दलीलों के आधार पर फैसले लेने का कार्य करता हैं।
जज केवल आम जनता से हुई गलतियों के लिए सजा नहीं देता बल्कि संविधान के आधार पर सरकार के लिए हुए फैसलों और नियमो को भी सही और गलत के आधार पर निरस्त करने का कार्य करता हैं।
भारत में हर जज हर तरह का फैसला नहीं सुना सकता जज के सजा सुनाने की भी एक सीमा होती है हाईकोर्ट से नीचे जितने भी न्यायालय है उनके जज 2 साल तक की ही सजा सुना सकते है। इसके ऊपर की सजा सुनाने के लिए आपको हाई कोर्ट के जज के पास जाना होगा सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश एकमात्र न्यायधीश है जो सभी प्रकार के फैसले सुनाने की क्षमता रखते हैं।
Judge कितने प्रकार के होते हैं
जैसा कि हम जानते है भारत में न्यायपालिका को सरकार से स्वतंत्र रखा गया है जिस वजह से न्यायपालिका सरकार के विरुद्ध भी जा सकती है। मगर फैसला सुनाना आसान हो सके इस वजह से न्यायपालिका को विभिन्न भागों में बांटा गया है जिस वजह सेन्यायाधीश का भी विभिन्न प्रकार होते हैं।
न्यायपालिका को विभिन्न स्तरों में विभाजित किया गया है भारत में न्यायपालिका को तीन भाग में विभाजित किया गया है –
- उच्चतम न्यायालय – जिसे सुप्रीम कोर्ट के नाम से जाना जाता है भारत में यह एकमात्र ऐसा कौन है जो सभी प्रकार के फैसले ले सकता हैं।
- उच्च न्यायालय – जिसे हाईकोर्ट के नाम से जानते है यह एक राज्य का सर्वोच्च कोर्ट होता हैं।
- जिला न्यायालय – जिसे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के नाम से जाना जाता है यह कोर्ट एक राज्य का सर्वोच्च कोर्ट होता हैं।
जिला न्यायालय को चार हिस्सों में विभाजित किया गया हैं।
दीवानी न्यायालय – जिला कोर्ट के इस हिस्से में जमीन जायदाद से जुड़ी समस्याओं का निवारण किया जाता है। इस न्यायालय को सिविल कोर्ट के नाम से जानते हैं।
जिला न्यायालय के सिविल कोर्ट में चार प्रकार के न्यायधीश बैठते हैं।
- जिला न्यायाधीश
- अतिरिक्त जिला न्यायाधीश
- प्रथम व्यवहार न्यायाधीश
- द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश
फौजदारी न्यायालय – जिला कोर्ट के इस हिस्से में हत्या डकैती चोरी जैसे मामलों की सुनवाई की जाती है। इस न्यायालय को क्रिमिनल कोर्ट के नाम से जानते हैं।
डिस्ट्रिक्ट क्रिमिनल कोर्ट में चार प्रकार के न्यायाधीश बैठते हैं।
- जिला न्यायधीश
- अतिरिक्त जिला न्यायाधीश
- मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी
- अन्य न्यायिक दंडाधिकारी
राजस्व न्यायालय – जिला कोर्ट के इस हिस्से में टैक्स राजनीतिक घपले से जुड़े मामलों की सुनवाई की जाती है। इस न्यायालय को रेवेन्यू कोर्ट के नाम से जानते हैं।
रेवेन्यू कोर्ट में दो प्रकार के न्यायाधीश बैठते हैं।
- राजस्व बोर्ड
- आयुक्तती बोर्ड
Judge कैसे बने
जज बनने का प्रथम कदम 12वीं के बाद शुरू हो जाता है। 12वीं के बाद अब क्लेट के परीक्षा दे सकते है। यह परीक्षा एक इंट्रेंस एग्जाम होती है जिसमें भारत के 16 बड़ी यूनिवर्सिटी में हिस्सा लेती है क्लेट की परीक्षा में अच्छे मार्क्स प्राप्त करने के बाद आप इन 16 यूनिवर्सिटी में से किसी एक यूनिवर्सिटी में B.A. LLB का कोर्स कर सकते हैं।
अगर आप 12वीं के बाद क्लास की परीक्षा नहीं देना चाहते है तो आपको स्नातक की डिग्री किसी अन्य कॉलेज से पूरी कर लेनी है किसी भी स्ट्रीम में स्नातक पूरा करने के बाद 3 साल की वकालत की पढ़ाई पूरी करनी होगी। जिसके बाद आपको न्यायपालिका के अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत करना होगा।
पंजीकृत होने के बाद आप न्यायालय में केस लड़ने के लिए तैयार हो जाते है। जज की परीक्षा में बैठने से पहले आपके पास 7 वर्ष वकील के तौर पर अनुभव होना चाहिए।
आपको बता दें कि हर राज्य में लोक सेवा आयोग होता है जो न्यायिक सेवा परीक्षा हर साल आयोजित करवाती है। यह परीक्षा तीन चरण में होती है पहली वस्तुनिष्ठ परीक्षा, दूसरी लिखित परीक्षा, तीसरी इंटरव्यू। जब आप तीनों प्रकार की परीक्षा में अच्छे मार्क्स से उत्तरण हो जाएंगे तब आप अपनी प्रतिभा अनुसार किसी न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त होंगे।
Judge बनने के लिए योग्यता
अगर आप किसी न्यायालय में न्यायाधीश बनना चाहते है तो आपकी सर्वप्रथम योग्यता होनी चाइए की आप भारत के नागरिक हों, और आपकी उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए।
उसके बाद आपकी वकालत की पढ़ाई पूर्ण होनी चाहिए, जब आप 12वीं के बाद वकालत की पढ़ाई पूर्ण कर लें उसमे आपको स्नातक की डिग्री मिल जाएगी जिसके बेसिस पर जज की परीक्षा दे सकते हैं।
- जज बनने की प्रथम योग्यता है स्नातक की पढ़ाई पूर्ण हो।
- दूसरी मुख्य योग्यता है स्नातक की पढ़ाई वकालत के साथ पूर्ण हो या स्नातक के बाद वकालत की पढ़ाई पूरी करें।
- आपके पास 7 साल वकील के तौर पर वकालत का अनुभव होना चाहिए।
Judge बनने के लिए आयु
जज बनने के लिए आपकी कितनी होनी चाहिए अगर क्या आप भी यह सवाल ढूंढ रहे है तो बता दें कि न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए।
जज बनने के लिए विभिन्न श्रेणियों के लिए वे देना आयु सीमा नहीं रखी गई है यह एक गरिमा 1 पद है जिस वजह से इस पद की अधिकतम आयु 35 वर्ष रखी गई है जब आप 12वीं के बाद वकालत की पढ़ाई करेंगे या फिर स्नातक के बाद वकालत की पढ़ाई करेंगे तो पढ़ाई पूर्ण करते हुए आपकी उम्र 26 वर्ष की हो चुके होगी। उसके बाद जब आपस 7 साल वकालत का अनुभव लेंगे तब आपकी उम्र 33 वर्ष हो चुके होकि और जॉर्ज या न्यायाधीश बनने की अधिकतम आयु 35 वर्ष रखी गई हैं।
उच्च न्यायालय ने इस बात को साफ कर दिया है कि न्यायाधीश बनने के लिए किसी भी प्रकार की आयु छुट नहीं रखी गई है। अगर आपकी उम्र 21 वर्ष से अधिक और 35 वर्ष से कम है तो आप जज की परीक्षा में बैठ सकते हैं।
आप चाहे किसी भी श्रेणी से हो आप के लिए न्यायाधीश बनने की अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष रखी गई हैं।
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Judge बनने के लिए कौन सा एग्जाम देना पड़ता हैं
अगर आपको न्यायधीश अब बनना है तो आपको सबसे पहले स्नातक की परीक्षा पार करनी होगी उसके बाद एलएलबी की पढ़ाई पूर्ण करनी होगी।
जब आप स्नातक और वकालत की पढ़ाई पूर्ण कर लेंगे तो हर राज्य में एक लोक सेवा आयोग होता है जो हर साल न्याय सेवा आयोग के अंतर्गत परीक्षा आयोजित करवाती है आपको न्याय सेवा आयोग की परीक्षा मैं अच्छे अंको से उत्तीर्ण होना हैं।
आपको बता दें कि यह परीक्षा दो चरणों में होती है प्रथम चरण में बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते है प्रथम चरण के बहुविकल्पीय प्रश्न में दो विषय से सवाल पूछे जाते है प्रथम विषय जनरल नॉलेज और दूसरा विषय न्याय जिसमे आपके वकालत से जुड़े सवाल पूछे जाएंगे।
दूसरे चरण की परीक्षा में आपसे सबसे पहले जनरल नॉलेज, फिर भाषा, उसके बाद सब्सटेंटिव लॉ, प्रोसीजर एंड एविडेंस लॉ, रेवेन्यू एंड लोकल लॉ जैसे विषय से सवाल पूछे जाते हैं।
इस परीक्षा के सभी विषय और सभी चरण को अच्छे से पास करने के बाद आप किसी न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त हो सकते हैं।
Judge बनने के लिए एग्जाम पैटर्न
जजिया न्यायाधीश बनने के लिए आप से कुल दो चरण में परीक्षा ली जाती है उसके बाद इंटरव्यू होता है फिर मेरिट लिस्ट के आधार पर आपकी प्रतिभा के अनुसार आपको किसी न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया जाता है। किस चरण में आपको किस विषय से कितने और कैसे सवाल पूछे जाते हैं इस बात को नीचे विस्तारपूर्वक समझाया गया है उसे ध्यान से पढ़ें।
प्रथम चरण में अब से 2 विषय में सवाल पूछे जाएंगे सामान्य ज्ञान और वकालत। दोनों विषय से कुल साढे 400 अंक के सवाल पूछे जाएंगे जिसमें डेढ़ सौ अंक के सामान्य ज्ञान सवाल और 300 अंक के वकालत से जुड़े सवाल होंगे इस में पूछे गए सभी सवाल बहुविकल्पीय होंगे प्रत्येक विषय के लिए 2 घंटे का समय दिया जाएगा।
जो उम्मीदवार प्रथम चरण में दोनों विषय में न्यूनतम अंक प्राप्त करके कटऑफ के अनुसार इस चरण को पास कर लेंगे उन्हें न्यायाधीश बनने के दूसरे चरण में बैठने का मौका दिया जाएगा।
दूसरे चरण में उम्मीदवार से साडे 900 अंक के सवाल पूछे जाएंगे यहां 150 अंक के सामान्य ज्ञान प्रश्न और 200 अंक के भाषा से जुड़े सवाल और 800 अंक के वकालत से जुड़े प्रश्न पूछे जाएंगे।
दूसरे चरण में वकालत के चीज सेक्शन से सवाल पूछा जाएगा उसे नीचे बताया गया है –
- सब्सटेंटिव लॉ जिसमें 200 अंक के सवाल पूछे जाएंगे।
- प्रोसीजर एंड एविडेंस लॉ जिसमें 200 अंक के सवाल पूछे जाएंगे।
- पैनल रेवेन्यू एंड लोकल लॉ जिसमें 200 अंक के सवाल पूछे जाएंगे।
Judge की सैलरी कितनी होती हैं
जैसा कि हमने आपको बताया भारत में न्यायपालिका को क्षेत्रों में विभाजित किया गया है इन सभी स्तरों के न्यायधीश को उनके अस्तर अनुसार तनख्वाह दी जाती हैं।
अगर आप जिला न्यायालय में न्यायाधीश बनते है तो जूनियर न्यायधीश मतलब वह व्यक्ति जो नया जज बना है उसे ₹40000 तनख्वाह दी जाती है वरिष्ठ या अनुभवी न्यायधीश को ₹80000 तनख्वाह दी जाती हैं।
अगर आप उच्च न्यायालय या हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीश बन पाते है तो आपकी तनख्वाह ₹200000 महीना होगी अगर आप हाईकोर्ट के वरिष्ठ या हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बन पाते है तो आपकी तनख्वाह ढाई लाख रुपए महीना होगी।
अगर आप सर्वोच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज बन पाते है तो आपकी तनख्वाह ₹300000 महीना होगी वहीं सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस की तनख्वाह ₹380000 महीना हैं।
Judge बनने के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न
यहाँ पर मैंने ऐसे पांच सवालों के जवाब दिए है जो की अक्सर लोग जज बनने के बारे में पूछते रहते हैं।
Q. न्यायाधीश किसे कहते हैं?
जो व्यक्ति न्यायालय में सरकार के नियम या आम जनता की की हुई गलती की फैसला सुनाता है उसे न्यायाधीश कहते हैं।
Q. न्यायाधीश बनने के लिए कितनी आयु होनी चाहिए?
भारत में किसी भी न्यायालय में न्यायाधीश बनने के लिए आप की न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए चाहे आप किसी भी श्रेणी से ताल्लुक रखते हो कुछ भी प्रकार की आयु में छूट नहीं दी जाएगी।
Q. न्यायपालिका किसके अधीन कार्य करती हैं?
आपको बता दें कि भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र रखा गया है जिस वजह से न्यायपालिका सरकार के विरुद्ध फैसला भी सुना सकती हैं।
Q. न्यायाधीश बनने के लिए कौन सी परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती हैं?
हर राज्य में लोक सेवा आयोग होता है वह लोक सेवा आयोग हर साल न्याय सेवा आयोग की परीक्षा आयोजित करवाती है वह परीक्षा दो चरण में होती है परीक्षा को पास करने वाले उम्मीदवार किसी न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त हो सकते हैं।
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निष्कर्ष
अगर आपको Judge Kaise Bane लेख हेल्पफुल रहा है तो फिर आप यह लेख अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करना। इसके अलावा अगर आपको इस लेख से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो उसके लिए आप निचे कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।